प्रमाण पत्र बनने की समस्या को लेकर सकोड़ा व डाउ गाँव के स्कुली बच्चों प्रखण्ड कार्यालय के सामने दिया धरना
पूर्व विधायक के साथ ग्रामीणों व बच्चों ने निकाला विरोध मार्च, प्रखण्ड कार्यालय के सामने किया प्रदर्शन।
जाति, आवासीय और आय प्रमाण पत्र नहीं बनने से बच्चों के स्कूल में नामांकन की समस्या, सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं ग्रामीण
सोनुआ प्रखण्ड के बोयकेड़ा पंचायत के सकोड़ा और डाउ
वनग्रामों ग्रामीण जाति, आवासीय और आय प्रमाण पत्र नहीं बनने से परेशान हैं। इन वनग्रामों में निवास करने वाले ग्रामीणों के बच्चे जो स्कूल पढ़ाई करते हैं, वे भी परेशान हैं क्योंकि उनका जाति, आवासीय और आय प्रमाण पत्र नहीं बनने से उनका स्कूल-कॉलेजों में दाखिले की समस्या हो रही है। इन गाँवों के कई छात्र इस समस्या को लेकर पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। इस समस्या को लेकर गुरुवार को दोनों गाँवों के ग्रामीण और बच्चों ने सोनुआ प्रखण्ड कार्यालय पहुँचकर प्रदर्शन किया। यहाँ एक अनोखा दृश्य भी देखने को मिला जब स्कुली बच्चे अपनी माँगों को लेकर हाथों में तख्तियाँ लेकर सोनुआ प्रखण्ड कार्यालय के मुख्य द्वार के सामने धरने पर बैठ गये और अपनी समस्या के समाधान का माँग किया। इससे पहले ये बच्चे अपने अभिभावकों के साथ सड़क पर रैली की शक्ल में सोनुआ चेक नाका से प्रखण्ड कार्यालय पहुँचे, जिसमें उनके साथ क्षेत्र के पूर्व विधायक गुरूचरण नायक और भाजपा नेता सोमा रुगु भी शामिल हुए।
सीओ ने वरीय अधिकारियों से बात करने समस्या समाधान का दिया आश्वासन
प्रखण्ड कार्यालय में सीओ अरुण कुमार मुंडा ने पूर्व विधायक और ग्रामीणों के साथ इस समस्या पर चर्चा किया और वरीय अधिकारियों के साथ इस विषय पर बात कर समस्या के समाधान का आश्वासन दिया, जिसके बाद बच्चे और ग्रामीण घर लौटे। मौके पर ग्रामीणों के प्रदर्शन के मौके पर ग्रामीण मुंडा बिजय सिंह तुबिड, दुबराज बोदरा, झारखण्ड पार्टी के नेता महेंद्र जामुदा, भाजपा नेता केदारनाथ नायक, रामेश्वर तैसुम आदि मौजूद थे।
झारसेवा पोर्टल से दोनों गाँवों का नाम हटने से हो रही है समस्या
दरसअल इन दोनों गाँवों के ग्रामीणों का प्रमाण पत्र पहले झारसेवा पोर्टल से ऑनलाईन माध्यम से निर्गत होता था। लेकिन अब पिछले दो-तीन वर्षों से झारसेवा के पोर्टल के सूची से इन दोनों गाँवों का नाम हट जाने से प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है, जिससे ग्रामीण और बच्चे परेशान हैं। प्रमाण पत्र नहीं बनने से बच्चों के स्कूल में नामांकन की समस्या हो रही है और ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है।