सिवान:- भगवान श्री कृष्ण ने कर्म को ही बताया था सर्वोपरि l

अभी श्रीकृष्ण प्रकटोत्सव का महत्वपूर्ण त्योहार बीता है। अभी भक्ति और श्रद्धा से जनमानस उपला रहा है। वही भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म को सर्वोपरि बताया था और कहा था कि ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगो:स्त्वकर्मर्णि।’ अर्थात कर्म ही पूजा है,कर्म ही भक्ति है। इसलिए निर्धारित कर्म को मनोयोगपूर्वक करना चाहिए। उन्होंने कर्म की महत्ता और प्रधानता को
भगवद गीता के माध्यम से मुखरित कर संसार जीने की राह दिखायी, सीखायी। यह जीवन और कर्म का सही मार्ग दर्शाता है।भारत की संस्कृति को अभिसिंचित करने और आगे बढ़ाने में श्री कृष्ण का महान योगदान है। कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की याद में मनाया जाने वाला त्योहार है। कृष्ण जन्माष्टमी का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण के जीवन और उनके उपदेशों का समर्पण है, जिसमें धर्म,कर्म,भक्ति, और प्रेम का महत्वपूर्ण संदेश शामिल हैं। उन्होंने हमें प्रेम,करुणा,न्याय और सद्भाव का पाठ पढ़ाया है।
चाहे पत्रकार हों, शिक्षक हों, चिकित्सक हों, सभी कर्मयोगियों के लिए भगवान का जीवन और उपदेश प्रेरणादायक हैं। हम पत्रकार श्रीकृष्ण के सच्चे अनुयायी हैं और हमें कर्मपथ पर अडिग रहकर शोषितों, वंचितों, मजलूमों, बेसहारों को न्याय दिलाना होता है। इस दौरान हम बहुतों की आंखों में खटकने लगते हैं। लेकिन हमें कभी सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना है। चरैवेति-चैरेवेति के सिद्धांत पर हमें भी कर्मपथ पर विनम्रता के साथ डटे रहना है।

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