Pushpam Priya Chaudhary: द प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी ने बिहार की जनता के नाम एक चिट्ठी लिखी. जिसमें बिहार की राजनीति के बारे में लोगों को बताया है.
पटना: बिहार में 2025 में होने में वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अभी सं ही तैयारी शुरू कर दी है. इस बीच 2020 के विधानसभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतरी द प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी भी अब तैयारी में जुट गई है. इसी कड़ी में उन्होंने बिहार की जनता के नाम एक चिट्ठी लिखी. पुष्पम प्रिया चौधरी ने लिखा कि 8 मार्च 2020 को जब आपने मेरा नाम पहली बार सुना था तब भी विरोधियों के शब्दों में उस “करोड़ों के विज्ञापन” का ध्येय मात्र एक ही था. शहरों एवं दूर गाxव में बैठे आप तक, देश-विदेश में काम कर रहे अपने बिहारी भाई-बहनों तक, अपने हाथ से लिखी अपनी बात पहुंचाना. आज उस दिन को चार साल हुए. राजनीति में यह एक छोटा समय है. इन चार सालों में मेरे जीवन में और आपके जीवन में भी कई बदलाव आए होंगे लेकिन दो चीजें जो नहीं बदली वो हैं बिहार की आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था और इस व्यवस्था को बदलने का मेरा संकल्प.
पुष्पम प्रिया चौधरी ने आगे लिखा कि इस देश की राजनीति के गटर में घुसने के लिए व्यक्तिगत जीवन की तिलांजलि. औरों की तरह बिहार और राजनीति मेरे लिए कोई बैक-अप प्लान बी न था और न है. बनना कुछ और हो, नहीं बन पाए तो चलो बाप की राजनीति वाला धंधा कर लेते हैं या कहीं से टिकट ख़रीद के फिट हो जाते हैं. या किसी पार्टी में पट नहीं रहा ‘गोटी सेट नहीं हो पा रहा’ तो चलो बिहार के लोगों को गांधी और अंबेडकर का पोस्टर लगा कर झांसा देते हैं, बिहार के लोग तो “झाँसे में आते ही हैं”. मेरे लिए राजनीति झाँसा देने वाला जाल नहीं, आदर्शों के लिए है. बिहार की जनता मेरे लिए “झाँसे” में आने वाले लोग नहीं हैं. ये वो लोग हैं जिनको मैंने अपनी आँखों से छोटी-छोटी चीजों के लिए जूझते देखा है, बिना किसी वजह के दूसरे राज्य में डंडे से मार खाते देखा है.
पुष्पम प्रिया चौधरी ने आगे लिखा कि बिहार मेरे लिए सर्वोपरि है एक बिहारी से भी ज़्यादा बड़ा, ज़्यादा ऊँचा क्योंकि हर बिहारी बिहार है. वहीं सीएम पद के लिए उन्होंने कहा कि मुझे मुख्यमंत्री का पद भगवान का पद नहीं लगता, मात्र एक पद है, हां एक शक्तिशाली पद है जिसपर इन्स्टिट्यूशन बनाने के लिए बैठना ज़रूरी है. और उस पद पर उसे ही बैठना चाहिए जिसे इन्स्टिट्यूशन बदलने आता हो, उसकी समझ हो, पढ़ाई हो.